हार तय मानकर रूप के इस घमासान में,
चाँद भी छुप के बैठ गया है आसमान में।
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
हार तय मानकर रूप के इस घमासान में,
चाँद भी छुप के बैठ गया है आसमान में।
वो झूठे हैं जो ये कहते कि बचपन फिर नहीं आता,,
तूझे माँ जब भी देखूं मेरा बचपन लौट आता है………..
देखो ऐसा भी होता है रश्मे-प्यार में,
एक चाँद बैठा है दूजे के इंतज़ार में।
मैं कोई छोटी सी कहानी नहीं थी
बस पन्ने ही जल्दी पलट दिए तुमने!!!
“आपकी हर एक शायरी गजब ढा देती है”
उम्र लगी कहते हुए….दो लफ्ज़ थे एक बात थी,,
एक दिन सौ साल का..सौ साल की वो रात थी..!!!
महफिल लगी थी बद दुआओं की,
हमने भी दिल से कहा.,
उसे इश्क़ हो, !
उसे इश्क़ हो!!
उसे इश्क़ हो !!!
तेरे दिल में ठिकाना
रहे उम्र भर…
फिर किसी आशियाने
की परवाह नहीं..
फिर से आँखों में गीलापन उतर आया,
जब बातों-बातों में आज तेरा जिक्र आया।
तुम्हारी याद की…… शिद्दत में….. बहने वाला अश्क…!!!
ज़मीं में बो दिया जाए…. तो आँख उग आए…!!!!
अच्छा हुआ कि तूने हमें तोड़ कर रख दिया,
घमण्ड भी तो बहुत था हमें तेरे होने का ..