ये फैसला तो शायद वक़्त भी न कर सके
सच कौन बोलता है, अदाकार कौन है।
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
ये फैसला तो शायद वक़्त भी न कर सके
सच कौन बोलता है, अदाकार कौन है।
बदलने को हम भी बदल जाते…
फिर अपने आप को क्या मुंह दिखाते |
ख़ामोश सा शहर और गुफ़्तगू की आरज़ू,
हम किससे करें बात कोई बोलता ही नहीं…
बड़ी हसरत से सर पटक पटक के गुजर गई,
कल शाम मेरे शहर से आंधी,
वो पेड़ आज भी मुस्कुरा रहें हैं,
जिन में हुनर था थोडा झुक जाने का ।।।
आदत पड गयी है सभी को ,
प्यार अब हर किसी को कहां होता है ??
अगर कसमें सच्ची होती,
तो सबसे पहले खुदा मरता|
प्यार कमजोर दिल से किया नहीं जा सकता!
ज़हर दुश्मन से लिया नहीं जा सकता!
दिल में बसी है उल्फत जिस प्यार की!
उस के बिना जिया नहीं जा सकता!
बेनाम आरजू की वजह ना पूछिये,
कोई अजनबी था, रूह का दर्द बन गया…!
दीवाना पूछता है ये लहरों से बार-बार…
कुछ बस्तियाँ यहाँ थीं बताओ किधर गईं…!!!
शब्द तो शोर है तमाशा है
भाव के सिन्धु में बताशा है…
मर्म की बात होंठ से न कहो …
मौन ही भावना की भाषा है