इस क़दर आँखो से दरिया की रवानी हो गई
दर्द के बादल उठे धरती भी पानी हो गई
हाथ पीले कर नहीं सकती ग़रीबी
क्या करे बाप बूढ़ा और बेटी सयानी हो गई|
Category: Hindi Shayri
आओ कभी यूँ
आओ कभी यूँ भी मेरे पास कि, आने में ..
लम्हा और जाने में ज़िन्दगी गुज़र जाए !!!!
तन्हा मुमकिन नहीं….!!
वापस आ कि सफर ये तन्हा मुमकिन नहीं….!!
जान गया कि “मैं” हूँ, पर “तुम” बिन नहीं….!
कोशिश बहुत की
कोशिश बहुत की के राज़-ए-मौहब्बत बयाँ न हो !!
पर मुमकिन कहां है के आग लगे और धुआँ न हो ।
हम दोनो के बराबर रही…
दिल मे मोहब्बत तो हम दोनो के बराबर रही…
लेकिन,मैने छुपाया नही और तूंने बताया नही|
मुस्कुराकर फैर ली
मुस्कुराकर फैर ली उसने नज़र,
रस्मे उल्फ़त यूँ निभाई और बस।
हर कोई भूल जाता है
हर कोई भूल जाता है अपने शहर को,
उतरता है जब भी खाबों की डगर को।
पा गये हो दोस्त तुम कुछ चार दिन के
भूल गये दोस्त, नाता पुराना साथ जिनके।
ख़ामोशियाँ जब चीखने लगें..
ख़ामोशियाँ जब चीखने लगें..
तो समझो ज़िंदगी रक़ीब हो चली है ख़ुद की|
हमे कहां मालूम था
हमे कहां मालूम था कि इश्क होता क्या
है…?
बस….
एक ‘तुम’ मिली और जिन्दगी….
मोहब्बत बन गई
आज एक दुश्मन ने
आज एक दुश्मन ने धीरे से कान में कहा..
यार इतना मत मुस्कुराया कर , बुहत जलन होती है ..!!