इस शिद्दत से निभा तु अपना किरदार,
कि परदा गीर जाऐ पर तालियाँ बजती रहे |
Category: Hindi Shayri
उसने चुपके से
उसने चुपके से मेरी आँखों पे हाथ रखकर पूछा…..बताओ कौन..???
..मै मुस्कराकर धीरे से बोला..”जिन्दगी मेरी”
उम्मीदों की तरह
मिट चले मेरी उम्मीदों की तरह हर्फ़ मगर,
आज तक तेरे खतों से तेरी खुश्बु ना गई।
ख्वाहिशों की दुकान
ख्वाहिशों की दुकान पर आँखें मूंद खड़े रहना,
मुश्किल बहुत है….बड़े होकर बड़े रहना
अँधेरे चारों तरफ़
अँधेरे चारों तरफ़ सायं-सायं करने लगे
चिराग़ हाथ उठाकर दुआएँ करने लगे
तरक़्क़ी कर गए बीमारियों के सौदागर
ये सब मरीज़ हैं जो अब दवाएँ करने लगे
लहूलोहान पड़ा था ज़मीं पे इक सूरज
परिन्दे अपने परों से हवाएँ करने लगे
ज़मीं पे आ गए आँखों से टूट कर आँसू
बुरी ख़बर है फ़रिश्ते ख़ताएँ करने लगे
झुलस रहे हैं यहाँ छाँव बाँटने वाले
वो धूप है कि शजर इलतिजाएँ करने लगे
अजीब रंग था मजलिस का, ख़ूब महफ़िल थी
सफ़ेद पोश उठे काएँ-काएँ करने लगे….!
हर एक बात के
हर एक बात के यूँ तो दिए जवाब उस ने
जो ख़ास बात थी हर बार हँस के टाल गया..
बंध जाये किसी से
बंध जाये किसी से रूह का बंधन,
तो इजहारे-ए मोहब्बत को अल्फाजो को जरूरत नही होती।
मोहब्बत का वो अंदाज़
मोहब्बत का वो अंदाज़ बड़ा निराला रखते है ,,तोड़ के शाख़ से गुलाब किताब में सुखा कर रखते है
करवट बदल के भी देखा
मैंने करवट बदल के भी देखा है…
उस तरफ भी तेरी जरुरत है….
फितरत किसी की
फितरत किसी की यूँ ना आजमाया करिए साहब…
के हर शख्स अपनी हद में लाजवाब होता है…