रिश्तोंका ए’तिबार वफ़ाओं का इंतिज़ार
हम भी चराग़ ले के हवाओं में आए हैं
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
रिश्तोंका ए’तिबार वफ़ाओं का इंतिज़ार
हम भी चराग़ ले के हवाओं में आए हैं
मत कर इतना प्यार पगले…
दिल जब तेरा टूटेगा तो मोहब्बत एक से हुई है नफरत सारी दुनिया से कर बैठेगा..
चलते चलते मेरे कदम अक्सर यही सोंचते हैं..
कि किस ओर जाऊँ जो मुझे तू मिल जाये..
किसी ने पुछा तुम क्या काम करते हो
हमने मुस्कुराकर कर कहा दिल जीतने का काम करते है
ऐ जिन्दगी ना लगने देना इश्क की तलब ..
मै जीना चाहता हुँ भीड़ से अलग..
मेरी दूनियाँ हो तुम
और
मैं अपनी दुनियां में
मगन हूँ..!!
लिखी कुछ शायरी ऐसी तेरे नाम से….
कि जिसने तुम्हे देखा भी नही,
उसने भी तेरी तारीफ कर दी
जीने की तमन्ना तो बहुत हैं..!!
पर कोई आता ही नही जिंदगी में,जिंदगी बनकर
इतना ही गुरुर था तो मुकाबला इश्क का करती ऐ बेवफा
हुस्न पर क्या ईतराना जिसकी ओकात ही बिस्तर तक है ।
मेरी मंज़िल मेरी हद । बस तुमसे तुम तक ।।
ये फ़क्र है कि तुम मेरे हो । पर फ़िक्र है कि कब तक ।