उन्हें ठहरे समुंदर ने डुबोया
जिन्हें तूफ़ाँ का अंदाज़ा बहुत था |
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
उन्हें ठहरे समुंदर ने डुबोया
जिन्हें तूफ़ाँ का अंदाज़ा बहुत था |
कोशिश तो रोज़ करते हैं के वक़्त से समझौता कर लें….
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कम्बख़्त दिल के कोने में छुपी उम्मीद मानती ही नहीं…
अपने साथ मेरी नींद भी ले गए,
फिर ये साँसों पर मेहरबानी क्यों…
मोहब्बत रूह में उतरा हुआ मौसम है …..
ताल्लुक कम करने से मोहब्बत कम नहीं होती….
उनके रूठ जाने में भी एक राज़ है साहब,
वो रूठते ही इसलिए है की कहीं अदायें न भूल जाएं।।
कुछ विश क़ुबूल आखिर इस क़दर हो जाये…
बारगाह में तेरी फिर से मेरा सर झुक जाये…
कटता नहीं है बिन तेरे लम्हा-दो-लम्हा मेरे,
जाने क्या सोच के उम्र भर का फैसला किया..
आपके चलने की भी क्या खूब अदा है
तेरे हर कदम पे एक दिल टूटता है|
कब तक समझाऊं यूँ बहाना तिनके का करके
लो आज कहता हूँ ये आँसू तेरी याद के है|
मतलबी दुनिया के लोग खड़े है, हाथों में पत्थर लेकर……..!!
मैं कहाँ तक भागूं, शीशे का मुकद्दर लेकर…………..!!