मंजर का पसमंजर देख सहरा बीच समंदर देख……….!
एक पल अपनी ऑंखें मूंद एक पल अपने अंदर देख…………!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
मंजर का पसमंजर देख सहरा बीच समंदर देख……….!
एक पल अपनी ऑंखें मूंद एक पल अपने अंदर देख…………!
परेशां है वो हमसे इश्क़ करके
वफादारी की नौबत आ गई है….
ए खुदा अगर तेरे पेन की श्याही खत्म है तो मेरा लहू लेले,
यू कहानिया अधूरी न लिखा कर
सब छोड़े जा रहे है आजकल हमें,,,,,
” ऐ जिन्दगी ” तुझे भी इजाजत है,,,,
जा ऐश कर…ll
कभी आग़ोश में यूँ लो की ये रूँह तेरी हो जाए।
इस छोटे से दिल में किस किस को
जगह दूँ ,
गम रहे, दम रहे, फ़रियाद रहे, या तेरी
याद रहे..
रात भर जलता रहा ये दिल उसकी याद में ,
समझ नही आता दर्द प्यार करने से होता है
या याद करने से …
“समझदार” एक मै हूँ
बाकि सब “नादान”..
बस इसी भ्रम मे घूम रहा
आज कल हर “इंसान”.!!
नसीहतें और दुआए बदलती नहीं है..
देने वाले लोग और तरीके बदल जाते है..
ज़ुबान की हिफाज़त…..
दौलत से ज्यादा मुश्किल है…