शब्दों की प्यास किसे है
मुझे तो तुम्हारी खामोंशियों से इश्क है,,,
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
शब्दों की प्यास किसे है
मुझे तो तुम्हारी खामोंशियों से इश्क है,,,
कुछ अलग ही करना है तो वफा करो दोस्त,
वरना मजबूरी का नाम ले कर बेवफाई तो सभी करते है !
वो दिल ही क्या तेरे मिलने की जो दुआ न करे..
मैं तुझको भूल के ज़िंदा रहूँ ख़ुदा न करे।।
रहेगा साथ तेरा प्यार ज़िन्दगी बनकर..
ये और बात मेरी ज़िन्दगी वफ़ा न करे।।
समझा दो तुम, अपनी यादों को ज़रा…
…
वक़्त बे-वक़्त तंग करती हैं मुझे, कर्जदारों की तरह ।
इंतजार की घड़ियाँ ख़त्म कर ऐ खुदा,
जिसके लिये बनाया है उससे मिलवा भी दे अब ज़रा..!
आज इतना ज़हर पिला दो की मेरी साँस ही रुक जाये,
सुना है साँस रुकने पर बेवफा भी देखने आती है ।
कौन देता है उम्र भर का सहारा लोग तो जनाजे में भी कंधे बदलते रहते हैं
भूलना भी एक नेमत ही है खुदा की…….!!
वरना उसकी यादें तो पागल ही कर दें………!!!
अगर होता है इत्तेफ़ाक, तो यूँ क्यों नहीं होता !!
_______तुम रास्ता भूलो…और मुझ तक चले आओ..
वो तब भी थी अब भी है और हमेशा रहेगी………!
ये रूहानी मुहब्बत है कोई तालीम नहीं जो पूरी हो जाये………!