कोई वकालत नहीं
चलती ज़मीन वालों की ,
जब कोई फैसला आसमान से उतरता है
..!!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
कोई वकालत नहीं
चलती ज़मीन वालों की ,
जब कोई फैसला आसमान से उतरता है
..!!
तेरे बाद किसी को
प्यार से
ना देखा हमने…..
हमें इश्क का शौक है, आवारगी का
नही…
कोई तो सूद चुकाये,
कोई तो जिम्मा ले…
उस इंकलाब का जो आज तक उधार सा है…
तुमने भी हमें बस एक दिये की तरह समझा था,
रात गहरी हुई तो जला दिया सुबह हुई तो बुझा दिया..
ख्याल आजाद होते है…
पंख तो इच्छाओ के होते है।
मुझपे हंसने की ज़माने को सजा दी जाये …
मैं बहुत खुश हूँ ये अफवाह उड़ा दी जाये…
दिखावे की मोहब्बत तो जमाने को हैं हमसे
पर,
.
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ये दिल,
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तो वहाँ बिकेगा जहाँ ज़ज्बातो की कदर
होगी
तुम्हें भी याद नहीं और मैं भी भूल गया
वो लम्हा कितना हसीं था मगर फ़िज़ूल गया
आग लगाने को कहो तो हर शख्स के पास
माचिस है
घर किसी का जले
तो पानी की कमी हो जाती है।।
हम नींद के शौक़ीन ज्यादा तो नहीं लेकिन,
तेरे ख्वाब न देखूं तो गुज़ारा नहीं होता..