तुम नफरतो के धरने पर कयामत तक बैठो
मै अपने प्यार से इस्तीफा कभी नही दूंगा.!!!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
तुम नफरतो के धरने पर कयामत तक बैठो
मै अपने प्यार से इस्तीफा कभी नही दूंगा.!!!
यूँ तो जी रहे है सारी उम्र जीनी है लेकिन,
जीने की तरह जी न सके हम..।।
जलने वालों की दुआ से ही सारी बरकत है….वरना…
अपना कहने वाले लोग तो याद भी नहीं करते….!!!!
मेंने तुझसे कब
माँगा,
अपनी वफाओ का सिला…
तूम बस दर्द देते जाओ ,
मोहब्बत
बढती जाएगी…
मुफ़लिसी हालात में
रहते वक्त बड़ी हिमाक़त से गुजरा
आज वही लोग प्यार से पास
बिठाकर मान करते मेरा
दोस्तो कह दो
लड़कियो से इश्क़ है तो शक कैसा..?
अगर नहीं है तो फिर हमारा
हक़ कैसा….?
देखने का नजरिया
सही होना चाहिए, ठीक वैसे ही जैसे स्कूल की पहली घंटी से
नफरत होती है पर वही घंटी जब दिन की आखरी हो तो सबसे
प्यारी लगती है…
चलो माना की हमें
प्यार का इजहार करना नहीं आता,
जज़्बात ना समझ सको इतने
नादान तो तुम भी नहीं.
मुझे तेरे काफ़िले मेँ
चलने का कोई
शौक नहीँ.
मगर तेरे साथ कोई और चले मुझे
अच्छा
नहीँ लगता
खाने पे टूट पड़े सब ,
क्या ख़ास – क्या आम ….
चालीसवा था जिसका,वो भुखमरी से मर
गया …