अमल से भी माँगा वफा से भी माँगा,
तुझे मैने तेरी रजा से भी माँगा,
ना कुछ हो सका तो दुआ से भी माँगा,
कसम है खुदा की खुदा से भी माँगा
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
अमल से भी माँगा वफा से भी माँगा,
तुझे मैने तेरी रजा से भी माँगा,
ना कुछ हो सका तो दुआ से भी माँगा,
कसम है खुदा की खुदा से भी माँगा
निगाहों से भी चोट लगती है जनाब…… जब कोई देखकर भी अनदेखा कर देताहै।..
शिकवा तकदीर का. ना शिकायत अच्छी !!!!!
खुदा जिस हाल मे रखे वही जिंदगी अच्छी…….!!!!!!!
मेरे हर किस्से में तुम आते हो !!!
पर मेरे हिस्से में कब आओगे ?
अजब हाल है
आदमी की शख्शियत का,..
हवस खुद की उठती है
तवायफ उसको कहता है…
नफरत ही सही तुमने मुझे कुछ तो दिया है!
इतनी बड़ी दुनिया में मुझे तन्हा किया है!
मैं तुमसे शिकायत भी यार कर नही सकता,
रब ने ही वसीयत में, मुझे दर्द दिया है!
तुम मुझको आंसुओं की, ये बूंदें न दिखाओ,
मैंने तो आंसुओं का समुन्दर भी पिया है!
जाने क्यूँ दर्द ज़ख्मों से बाहर निकल आया,
ज़ख्मों का तसल्ल्ली से रफू तक भी किया है!
तुम मुझे कोई उजाला न दिखाओ,
अब मेरा ही दिल मानो कोई जलता दिया है!”
ज़मीं पर वो मेरा नाम लिखते है और मिटाते है…
उनका तो टाइम पास हो जाता है
कमबख्त मिटटी में हम मिल जाते है
जलती हुई cigarate को देख कर ज़ालिम ने फ़रमाया , दिल को जलाती हे पर होठो तक तो आती हे….
ख्वाइश बस इतनी सी है की तुम मेरे लफ़्ज़ों को समझो…. आरज़ू ये नही की लोग वाह वाह करें..
मोहब्बत भी अजीब चीज बनायीं खुदा तूने,तेरे ही मंदिर में, तेरी ही मस्जिद में, तेरे ही बंदे, तेरे ही सामने रोते हैं, तुझे नहीं,किसी और को पाने के लिए!