यह मंदिर-मस्ज़िद भी क्या गजब की जगह है दोस्तो….
जंहा गरीब बाहर और अमीर अंदर ‘भीख’ मांगता है…!!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
यह मंदिर-मस्ज़िद भी क्या गजब की जगह है दोस्तो….
जंहा गरीब बाहर और अमीर अंदर ‘भीख’ मांगता है…!!
मुझमें खामियाँ लाख होंगी,
मगर एक खूबी भी है,
मै लोगों से रिश्ता मतलब के लिए नहीं रखता…
जब तक सत्य घर से बहार निकलता है ll
तब तक ज़ुठ आधी दुनिया घुम लेता है ll
जज़बात पर काबू , और वो भी मोहब्बत में…
तूफान से कहते हो , चुपचाप गुज़र जाये ।
अजीब कहानी है इश्क और मोहब्बत की,
कि उसे पाया ही नहीं फिर भी खोने से डरता हूँ.
छेड़ने लगीं सहेलियां उसकी उसको..मुजसे मिलने के बाद ..
कि रंग क्यों बदला है तेरे होठों का उसको मिलने के बाद ..
लेकर आना उसे मेरे जनाजे में,
एक आखरी हसीन मुलाकात होगी..!
मेरे जिस्म में जान न हो मगर,
मेरी जान तो मेरे जिस्म के पास होगी..!!
अजीब उलजन मै हु मे
दिल आज घोके मै है
ओर घोकेबाज दिल मै……
ख़्वाब की तरह बिखर जाने को जी चाहता है
ऐसी तन्हाई के मर जाने को जी चाहता है
घर की वहशत से लरज़ता हूँ मगर जाने क्यूँ
शाम होती है तो घर जाने को जी चाहता है
डूब जाऊँ तो कोई मौज निशाँ तक न बताए
ऐसी नद्दी में उतर जाने को जी चाहता है
कभी मिल जाए तो रस्ते की थकन जाग पड़े
ऐसी मंज़िल से गुज़र जाने को जी चाहता है
वही पैमाँ जो कभी जी को ख़ुश आया था बहुत
उसी पैमाँ से मुकर जाने को जी चाहता है”
खुद को इतना भी मत बचाया कर
बारिशे हो तो भीग जाया कर
चाँद लाकर कोई नहीं देगा
अपने चेहरे से जगमगाया कर
दर्द हीरा है दर्द मोती है
दर्द आँखों से मत बहाया कर
काम ले कुछ हसीन होंठो से
बातो-बातो मे मुस्कुराया कर
धुप मायूस लौट जाती है
छत पे कपडे सुखाने आया कर
कौन कहता है दिल मिलाने को
कम से कम हाथ तो मिलाया कर