सुकुन मिलता है दो लफ्ज कागज पर उतार कर
चीख भी लेता हूं और आवाज भी नही होती..
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
सुकुन मिलता है दो लफ्ज कागज पर उतार कर
चीख भी लेता हूं और आवाज भी नही होती..
उस दिन ही दिल से उतरगयी थी वो,जिस
दिन घमंड से बोली,”भूल नही पाओगे
मुझे”..!!
क्या बताऊं कैसे ख़ुद को दर-ब-दर मैंने किया,
उम्र भर किस-किस के हिस्से का सफ़र मैंने किया ।
सलीका ही नहीं शायद उसे महसूस करने का
जो कहता है ख़ुदा है तो नज़र आना ज़रूरी है
इश्क़ नाज़ुक मिजाज़ है बे-हद,
अक्ल का बोझ उठा नहीं सकता. !!
जो निगाह आज मुझे देख कर झुक गई,,
यकिनन उसने मुझे कभी चाहा जरुर होगा|
मैं वक्त बन जाऊं, तु बन जाना कोई लमहा।
मैं तुझमे गुजर जाऊं , तु मुझमे गुजर जाना।।
दो अक्षर की मौत
और तीन अक्षर के जीवन में,
ढाई अक्षर का दोस्त हमेंशा बाज़ी मार जाता हैं…..
मिट जाते है वो औरों को मिटाने वाले..!
लाश कहा रोती है,
रोते है जलाने वाले..!!!
Meri bhi nigaho ka sunle abb sawal
Poochte hai kab aayega
Jhonka phir tere deedar ka