इस दुनिया मे कोई किसी का
हमदर्द नहीं होता,
लाश को शमशान में रखकर अपने लोग ही पुछ्ते हैं।
“और कितना वक़्त लगेगा”…
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
इस दुनिया मे कोई किसी का
हमदर्द नहीं होता,
लाश को शमशान में रखकर अपने लोग ही पुछ्ते हैं।
“और कितना वक़्त लगेगा”…
शौक पूरे करो….
ज़िन्दगी तो खुद ही एक दिन पूरी हो जाएगी…!
मैं फिर से निकलूँगा तलाशने को मेरी जिंदगी में खुशियाँ यारो दुआ करना इस बार किसी से मोहब्बत न हो..!!
सूरज ढला तो कद से ऊँचे हो गए साये.
कभी पैरों से रौंदी थी यहीँ परछाइयां हमने।
कभी तिनके कभी पत्ते कभी खुंश्बू उडा लाई, हमारे घर तो आंधी भी कभी तनहा नहीं आई
धोखा मिला जब प्यार में; ज़िंदगी में उदासी छा गयी; सोचा था छोड़ दें इस राह को; कम्बख़त मोहल्ले में दूसरी आ गयी!
हर गुनाह कबूल है हमें, बस सजा देने वाला बेवफा न हो
यूँही भुला देते हो हद करते हो, इंसान हु तुम्हारी किताबों का सबक़ तो नहीं..
मत पूछो कि मै अल्फाज कहाँ से लाता हूँ
ये उसकी यादो का खजाना है बस लुटाऐ जा रहा हूँ..
जरूरत और चाहत में बहुत फ़र्क है… कमबख्त़ इसमे तालमेल बिठाते बिठाते ज़िन्दगी गुज़र जाती है