गरीबो के बच्चे भी

मूर्ति बेचने वाले गरीब

कलाकार के लिए,
किसी ने क्या खूब लिखा है….

गरीबो के बच्चे भी

खाना खा सके त्योहारों में,
इसिलिये भगवान खुद बिक जाते है बाजारों

में……

याद आती है

बीती बातें

याद आती है जब अकेला होता हूँ मैं,
बोलती है खामोशियाँ सबसे छुप

के रोता हूँ मैं…॥