ठोकरें खाने के बाद

तमाम ठोकरें खाने के बाद, ये अहसास हुआ

मुझे..
कुछ नहीं कहती हाथों की लकीरें,खुद बनानी पङती हैं बिगङी

तकदीरें

अगर यूँ ही

अगर यूँ ही कमियाँ निकालते रहे

आप….
तो एक दिन सिर्फ खूबियाँ रह जाएँगी मुझमें….!

दहेज से जली बेटी

दहेज से जली बेटी को

बाप ने जब आग देनी चाही तो
लाश कराहते हुए बोल पड़ी “बाबूजी

फिर मत जलाओ.,
जलने पर बड़ा दर्द होता है….!!

जिन्दगी इसी को

दिल के टूट जाने पर भी हँसना,
शायद “जिन्दादिली” इसी को कहते हैं।

ठोकर लगने पर भी मंजिल के लिए भटकना,
शायद “तलाश” इसी को कहते हैं।

सूने खंडहर में भी बिना तेल के दिये जलाना,
शायद “उम्मीद” इसी को कहते हैं।

टूट कर चाहने पर भी उसे न पा सकना,
शायद “चाहत” इसी को कहते हैं।

गिरकर भी फिर से खडे हो जाना,
शायद “हिम्मत” इसी को कहते हैं।

उम्मीद, तलाश, चाहत और हिम्मत,
शायद “जिन्दगी” इसी को कहते हैं..

मीठे बोल बोलिये

मीठे बोल बोलिये क्यों की
अल्फाजो में जान होती है
इन्ही से आरती अरदास और
अजान होती है
दिल के समंदर के वो मोती है
जिनसे इंसान की पहचान होती है

मेरी झोली में कुछ अल्फाज अपनी
दुआओ के ड़ाल दे ऐ दोस्त
क्या पता तेरे लब हिले और
मेरी तकदीर संवर जाय

मेरी प्रार्थना को ऎसे स्वीकार
करो मेरे ईश्वर की जब जब
सर झुके मुझसे जुड़े हर रिश्ते
की ज़िन्दगी संवर जाय

हल निकलेगा

कोशिश कर, हल निकलेगा
आज नही तो, कल निकलेगा।

अर्जुन के तीर सा सध,
मरूस्थल से भी जल निकलेगा।

मेहनत कर, पौधो को पानी दे,
बंजर जमीन से भी फल निकलेगा।

ताकत जुटा, हिम्मत को आग दे,
फौलाद का भी बल निकलेगा।

जिन्दा रख, दिल में उम्मीदों को,
गरल के समन्दर से भी गंगाजल निकलेगा।

कोशिशें जारी रख कुछ कर गुजरने की,
जो है आज थमा थमा सा, चल निकलेगा।