वो जो तुमने
एक दवा बतलाई थी ग़म के लिए,
ग़म तो ज्यो का त्यो रहा बस हम
शराबी हो गये…..
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
वो जो तुमने
एक दवा बतलाई थी ग़म के लिए,
ग़म तो ज्यो का त्यो रहा बस हम
शराबी हो गये…..
कुछ इस कदर
जकड़ रखा है तन्हाईयों ने,
सांस भी लेते है, तो लगता खलल है……
इश्क़ करोगे तो कमाओगे नाम तो हमते बटती नही खेरात में|
दुनिया मे
झूठे लोगों को बड़े हुनर आते हैं,
सच्चे लोग तो इल्ज़ाम से ही मर जाते
हैं..!!
लफ्ज़ अल्फाज कागज कलम सब बेमानी हैं
तुम कहते रहो हम सुनते रहे
बस इतनी सी कहानी है !!!
ना मिला है, ना मिलेगा, ज़िन्दगी में आराम कहीं…
मैं हुँ बे-मन्ज़िल मुसाफ़िर…
सुबह कहीं शाम कहीं.
वो लोग जो औरों की ज़िंदगी के मसीहा हैं ,
हर रात टूटते हैं बेतरतीब ,
बिना शोर किये !
‘अमर्त्य वीर पुत्र हो, दृढ़- प्रतिज्ञ सोच लो,
प्रशस्त
पुण्य पंथ है, बढ़े चलो, बढ़े चलो!’
असंख्य कीर्ति-रश्मियाँ विकीर्ण
दिव्य दाह-सी
सपूत मातृभूमि के- रुको न शूर साहसी!
अराति सैन्य
सिंधु में, सुवाड़वाग्नि से जलो,
प्रवीर हो जयी बनो – बढ़े चलो, बढ़े
चलो!
कहाँ मिलता है कोई समझने वाला
जो भी मिलता है समझा के चला जाता है|
ये दिल अजीब है अक्सर कमाल करता है
नहीं जवाब जिनका वो सवाल करता है ।