बदलते लोग, बदलते रिश्ते और बदलता मौसम
चाहे दिखाई ना दे, मगर महसूस जरूर होते हैं
Category: Heart Touching Shayri
अब तो कोयले भी
अब तो कोयले भी काले नही लगते
जाना है अंदर से इंसानो को हमने!
कहने को मैं
कहने को मैं अकेला हूं,पर हम चार है,
एक मैं, मेरी परछाई, मेरी तन्हाई और उसका एहसास
क्या ऐसा नहीँ
क्या ऐसा नहीँ हो सकता की हम प्यार मांगे,
और तुम गले लगा के कहो… और कुछ….??
मत इन्हें उछाल
लफ़्ज़ “आईने” हैं
मत इन्हें उछाल के चल,
“अदब” की “राह” मिली है तो
“देखभाल” के चल
मिली है “ज़िन्दगी” तुझे
इसी ही “मकसद” से,
“सँभाल” “खुद” को भी और
“औरों” को “सँभाल” के चल “
गज़ल को पढ़कर
पहली बार किसी गज़ल को पढ़कर आंसू आ गए ।
,
शख्सियत, ए ‘लख्ते-जिगर, कहला न सका ।
जन्नत,, के धनी “पैर,, कभी सहला न सका ।
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दुध, पिलाया उसने छाती से निचोड़कर,
मैं ‘निकम्मा, कभी 1 ग्लास पानी पिला न सका ।
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बुढापे का “सहारा,, हूँ ‘अहसास’ दिला न सका
पेट पर सुलाने वाली को ‘मखमल, पर सुला न सका ।
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वो ‘भूखी, सो गई ‘बहू, के ‘डर, से एकबार मांगकर,
मैं “सुकुन,, के ‘दो, निवाले उसे खिला न सका ।
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नजरें उन ‘बुढी, “आंखों,, से कभी मिला न सका ।
वो ‘दर्द, सहती रही में खटिया पर तिलमिला न सका ।
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जो हर “जीवनभर” ‘ममता, के रंग पहनाती रही मुझे,
उसे “दीवाली” पर दो ‘जोड़, कपडे सिला न सका ।
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“बिमार बिस्तर से उसे ‘शिफा, दिला न सका ।
‘खर्च के डर से उसे बडे़ अस्पताल, ले जा न सका ।
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“माँ” के बेटा कहकर ‘दम, तौडने बाद से अब तक सोच रहा हूँ,
‘दवाई, इतनी भी “महंगी,, न थी के मैं ला ना सका ।
ज़िन्दगी बदलने के लिए
ज़िन्दगी बदलने के लिए
लड़ना पड़ता है और
आसान करने के लिए
समझना पड़ता है!
बडी खामोशी से
बडी खामोशी से भेजा था गुलाब उसको…
पर खुशबू ने शहर भर में तमाशा कर दिया
गुमान न कर
इतना भी गुमान न कर आपनी जीत पर ” ऐ बेखबर ”
शहर में तेरे जीत से ज्यादा चर्चे तो मेरी हार के हैं।….।
मेरी हिम्मत को
मेरी हिम्मत को परखने की गुस्ताखी न करना,
पहले भी कई तूफानों का रुख मोड़ चुका हु