कसा हुआ हैं

कसा हुआ हैं तीर हुस्न का ज़रा संभलके रहियेगा,

नज़र नज़र को मारेगी तो क़ातिल हमें ना कहियेगा…….

जिस समय हम

जिस समय हम किसी का
‘अपमान ‘ कर रहे होते हैं,
दरअसल,
उस समय हम अपना
‘सम्मान’ खो रहे होते है…

झूठ बोलते है वो

झूठ बोलते है वो…
जो कहते हैं,
हम सब मिट्टी से बने हैं
मैं कईं अपनों से वाक़िफ़ हूँ जो पत्थर के बने हैं