अगर समझ पाते तुम मेरी चाहत की इन्तेहा तो,
हम तुमसे नही, तुम हमसे मुहब्बत करते… !!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
अगर समझ पाते तुम मेरी चाहत की इन्तेहा तो,
हम तुमसे नही, तुम हमसे मुहब्बत करते… !!
आ बैठ मेरे पास
बरबाद अब कुछ
रातें करते हैं
बन जा तू शब्द मेरे
फिर दिल की,
दिल से
कुछ बातें
करते हैं……
इश्क़ के आगोश में आने वालों सुनो,
नींद नहीं आती बिना महबूब की बाहों के..
खैर कुछ तो किया उसने…
चलो तबाह ही सही…
तू चाँद का टुकड़ा नहीं, चाँद तेरा टुकड़ा है ।
टूटते तारे नहीं, फ़िदा होते सितारे देख तेरा मुखड़ा है ।
ख़ूबसूरती देख तेरी अप्सरा का दिल जलन से उखड़ा है
दुनिया में तेरे वजूद से, स्वर्ग भी लगता उजड़ा है ।
जो कोई समझ न सके वो बात हैं हम,
जो ढल के नयी सुबह लाये वो रात हैं हम,
छोड़ देते हैं लोग रिश्ते बनाकर,
जो कभी न छूटे वो साथ हैं हम।
हो सकता है की मैं तेरी खुशियाँ बाँटने ना आ सकू,
गम आये तो खबर कर देना वादा है की सारे ले जाऊँगा
मुझे मालूम है उड़ती पतंगों की रवायत..
गले मिलकर गला काटूँ मैं वो मांझा नहीं..
कैसे जिंदा रहेगी तहज़ीब सोचिये !
पाठशाला से ज्यादा तो मधुशाला हैं इस शहर मे
नहीं ज़रूरत मुझे तुम्हारी अब,
ख्यालात तुम्हारे काफ़ी है…..
तुम क्या जानो इस मस्ती को,
अहसास तुम्हारे काफ़ी है……