यूँ तो ए-ज़िन्दगी, तेरे सफर से शिकायते बहुत थी, मगर “दर्द” जब “दर्ज” कराने पहुँचे तो “कतारे” बहुत थी।
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दिलों में रहता हूँ
दिलों में रहता हूँ धड़कने थमा देता हूँ
मैं इश्क़ हूँ,
वजूद की धज्जियां उड़ा देता हूँ
मैं तुझे चांद कह दूं
मैं तुझे चांद कह दूं ये मुमकिन तो है मगर
लोग तुझे रात भर देखें ये गवारा नहीं मुझे|
मैंने कब कहा
मैंने कब कहा कीमत समझो तुम मेरी..
हमें बिकना ही होता तो यूँ तन्हा ना होते !!
तुम्हे गुरुर ना हो जाये
तुम्हे गुरुर ना हो जाये हमे बर्बाद करने का
इसीलिए सोचा हमने महफ़िल में मुस्कुराने का..
मंजिल मिल ही जायेगी
मंजिल मिल ही जायेगी, भटकते हुए ही सही..
गुमराह तो वो हैं, जो घर से निकले ही नहीं।
सूखे पत्ते भीगने लगे हैं
सूखे पत्ते भीगने लगे हैं अरमानों की तरह
मौसम फिर बदल गया , इंसानों की तरह.!!
साथ थे तो शहर
साथ थे तो शहर छोटा था..
बिछडे तो गलिया भी लम्बी लगने लगी….
बस दिलों को जीतना ही
बस दिलों को जीतना ही
जिंदगी का मकसद रखना
वरना
दुनिया जीतकर भी
सिकंदर खाली हाथ ही गया…
तुमसे मिलने का हमने
तुमसे मिलने का हमने निकाल लिया एक रास्ता…..
झांक लेते हैं दिल में …आँखों को बन्द करके…!