आशिकी से मिलेगा ऐ जाहिद,
बंदगी से खुदा नहीं मिलता।
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
आशिकी से मिलेगा ऐ जाहिद,
बंदगी से खुदा नहीं मिलता।
यूँ असर डाला है मतलब-परस्ती ने दुनियाँ पर कि,
हाल भी पूछो तो लोग समझते हैं, कोई काम होगा. ..
अच्छे थे तो किसी ने हाल तक नहीं पूछा……!! बुरे बनते ही देखा हर तरफ अपने ही चर्चे है….
ज़िन्दगी की हकीकत को बस इतना जाना है..!!.
दर्द में अकेले हैं और ख़ुशी में जमाना है..!!
गगन तेरे लिए हूं मैं जमी मेरे लिए है तू।
हकीकत और ख्वाबों में ख़ुशी मेरे लिए है तू।
जमाना बेरहम है पर हकीकत जान ले ये भी,
बना तेरे लिए हूं मैं बनी मेरे लिए है तू।
बंधी है हाथ पे सब के घड़ियाँ मगर,
पकड़ में एक भी लम्हा नहीं..
घरों पे नाम थे
नामों के साथ औहदे थे
बहुत तलाश किया
कोई आदमी न मिला।
वो अफसाना जिसे अंजाम तक लाना ना हो मुमकिन,
उसे एक खूबसूरत मोड़ देकर छोड़ना अच्छा……
जमा कर खुद के पाँवों को चुनौती देनी पड़ती है
कोई बैसाखियों के दम पे अंगद हो नहीं सकता
….
जिनको मिली है, ताक़त दुनिया सँवारने की…
खुदगर्ज आज उनका ईमान हो रहा है…!!