लकीरों पे मोहब्बत

लकीरों पे मोहब्बत की चला अक्सर सलीकों से
मोहब्बत रास ना आयी मोहब्बत के तरीकों से

सिखा दे इश्क कुछ ऐसा हुनरमन्द इश्क दरीचों से
संभल जाये ईश्क मेरा इश्क के ही सलीकों से।

हुये है सजदे

हुये है सजदे मुकम्मल सब मेरे आकर तेरी पनाहों में…

तेरी मर्जी तू कर शामिल मुझको , दुआओ में या गुनाहो में….