लकीरों पे मोहब्बत की चला अक्सर सलीकों से
मोहब्बत रास ना आयी मोहब्बत के तरीकों से
सिखा दे इश्क कुछ ऐसा हुनरमन्द इश्क दरीचों से
संभल जाये ईश्क मेरा इश्क के ही सलीकों से।
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
लकीरों पे मोहब्बत की चला अक्सर सलीकों से
मोहब्बत रास ना आयी मोहब्बत के तरीकों से
सिखा दे इश्क कुछ ऐसा हुनरमन्द इश्क दरीचों से
संभल जाये ईश्क मेरा इश्क के ही सलीकों से।
हमसे पूछो मिज़ाज़ बारिश का ।
हम जो कच्चे मकान वाले हैं ।।
लहराती जुल्फें,कजरारे नयन,और ये रसीले होंठ…
बस कत्ल बाकी है,औज़ार तो सब पूरे हैं…
हुये है सजदे मुकम्मल सब मेरे आकर तेरी पनाहों में…
तेरी मर्जी तू कर शामिल मुझको , दुआओ में या गुनाहो में….
थोड़ा और तल्ख़ इश्क़ ही जाये
मौत आये आपकी हमे कही और इश्क़ हो जाये |
हम कुछ ना कह सके उनसे, इतने जज्बातों के बाद…
हम अजनबी के अजनबी ही रहे इतनी मुलाकातो के बाद…
किसी ने कहा था महोब्बत फूल जैसी है, कदम रुक गये आज जब
फूलो को बाजार में बिकते देखा ।
देखना साथ ही ना छूटे बुजुर्गों का
कही पत्ते पेड़ो पे लगे हो तो हरे रहते है ।
हमारी बर्बादी की वजह तो सुनिए
मजे की है हम अपनी जिंदगी से
यूँ खेलते रहे, जैसे दूसरे की है ।
इश्क क्या है खूबसूरत सी कोई अफवाह बस , वो भी मेरे और तुम्हारे दरमिया उड़ती हुई … !!