ये फैसला तो शायद वक़्त भी न कर सके
सच कौन बोलता है, अदाकार कौन है।
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
ये फैसला तो शायद वक़्त भी न कर सके
सच कौन बोलता है, अदाकार कौन है।
बदलने को हम भी बदल जाते…
फिर अपने आप को क्या मुंह दिखाते |
Unki Ek nazar Ko hum Taraste Rahenge,
Ye aanshu Har Pal yuhi Baraste Rahenge,
Kabhi Beete The Kuch pal Unke Saath,
Bas Yahi Soch Kar Hum Haste Rahenge
Ajeeb Lagti Hai ye Sham Kabhi-Kabhi,
Zindagi bhi Lagti Hai Bejaan Kabhi-Kabhi,
Samjh Aaye To Hame Bhi Batana,
kyu Karti Hai Yaade Pareshan Kabhi-Kabhi.
दुआएं रद्द नही होती
बस बेहतरीन वक्त पे कबूल होती है…..
लालच दोनो का था…एक-दुसरे से..
उसने वक्त बिताना चाहा और मैंने जिन्दगी..
भुख लोरी गा गा कर,
.
जमीर को सुलाये रखती हैं…
सिलसिला खत्म क्यों करना जारी रहने दो,
इश्क़ में बाक़ी थोड़ी बहुत उधारी रहने दो…
वफा की बूंद में एक हरारत इश्क की थी…..
मुफलिसी के दिन थे….
हाँ, मुहब्बत बेच दी अपनी….
सांसों में लोबान जलाना आखिर क्यों
पल पल तेरी याद का आना आखिर क्यों…….