ऐ समन्दर मैं तुझसे वाकिफ हूं
मगर इतना बताता हुँ,
वो आंखें तुझसे ज्यादा गहरी हैं
जिनका मैं आशिक हुँ..!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
ऐ समन्दर मैं तुझसे वाकिफ हूं
मगर इतना बताता हुँ,
वो आंखें तुझसे ज्यादा गहरी हैं
जिनका मैं आशिक हुँ..!
ना जाने रोज कितने लोग रोते रोते सोते है,
और फिर सुबह झूठी मुस्कान लेकर सबको सारा दिन खुश रखते है !!
काश नासमझी में ही बीत जाए.!
ये ज़िन्दगी…
समझदारी ने तो बहुत कुछ छीन लिया..!!
दबी है आवाज दोनों के दरमियाँ तो क्या,
बातें तो खामोश ख्वाहिशें भी करती हैं|
हम जिंदगी में बहुत सी चीजे खो देते है,
“नहीं” जल्दी बोल कर और “हाँ” देर से बोल कर..
इस तरह सताया है परेशान किया है,
गोया कि मोहब्बत नहीं एहसान किया है….!!
हर अल्फाज दिल का दर्द है मेरा पढ़ लिया करो,
कोन जाने कोन सी शायरी आखरी हो जाये|
आहिस्ता बोलने का उनका अंदाज़ भी कमाल था..
कानो ने कुछ सुना नही और दिल सब समझ गया..
हर अल्फाज दिल का दर्द है मेरा पढ़ लिया करो,
कोन जाने कोन सी शायरी आखरी हो जाये|
आशियाने बनें भी तो कहाँ
जनाब…
जमीनें महँगी हो चली हैं
और
दिल में लोग जगह नहीं देते..!!