ग़ैरों से मतलब नहीं, ख़ुद का ही है ध्यान।
अपने-अपने स्वार्थ में, मस्त सभी इंसान।।
दूर – दूर रहते सभी, कोई यहाँ न पास।
बोली में अलगाव है, चेहरे पड़े उदास।।
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
ग़ैरों से मतलब नहीं, ख़ुद का ही है ध्यान।
अपने-अपने स्वार्थ में, मस्त सभी इंसान।।
दूर – दूर रहते सभी, कोई यहाँ न पास।
बोली में अलगाव है, चेहरे पड़े उदास।।
आखिर कैसे भुला दे हम उन्हें….!
मौत इंसानो को आती है यादो को नहीं……
यूं न झाकों मेरी रुह में……..
कुछ ख्वाहिशें मेरी
वहाँ बेनकाब रहती हैं ।
जिन्दगी तो हर दम बरबाद करता है ये दिल,
ये बेचारी जान तो ख़ामखां मारी जाती है।।
तू है मेरे अंदर मुझे संभाले हुए ….
के बे-करार सा रह कर भी बर-करार हूँ में ….
अदब का दरवाज़ा इतना छोटा और तंग होता है कि…
उसमें दाखिल होने से पहले सर को झुकाना पड़ता है…
ना करवटें थी और ना बैचेनीयाँ थी,
क्या गजब की नींद थी मोहब्बत से पहले|
उसने हर नशा सामने लाकर रख दिया और कहा…
सबसे बुरी लत कौन सी है, मैंने कहा तेरे प्यार की |
पिघली हुई हैं, गीली चांदनी,
कच्ची रात का सपना आए
थोड़ी सी जागी, थोड़ी सी सोयी,
नींद में कोई अपना आए
नींद में हल्की खुशबुएँ सी घुलने लगती हैं…
अपने ही साए में था, मैं शायद छुपा हुआ,
जब खुद ही हट गया, तो कही रास्ता मिला…..