ग़ैरों से मतलब नहीं

ग़ैरों से मतलब नहीं, ख़ुद का ही है ध्यान।
अपने-अपने स्वार्थ में, मस्त सभी इंसान।।

दूर – दूर रहते सभी, कोई यहाँ न पास।
बोली में अलगाव है, चेहरे पड़े उदास।।

पिघली हुई हैं

पिघली हुई हैं, गीली चांदनी,
कच्ची रात का सपना आए

थोड़ी सी जागी, थोड़ी सी सोयी,
नींद में कोई अपना आए

नींद में हल्की खुशबुएँ सी घुलने लगती हैं…