न जाने क्यूँ बहुत उदास है दिल आज….
लगता है की किसीका पक्का इरादा है हमें भूल जाने का
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
न जाने क्यूँ बहुत उदास है दिल आज….
लगता है की किसीका पक्का इरादा है हमें भूल जाने का
हर इक ग़म को दिया करती हैं अब गिन-गिन के मोती
ये आँखें दिन-ब-दिन कंजूस होती जा रही हैं।।।।
कुछ अधूरे एहसासों ने ही तो थामा है हर पल,
चाँद तो पूरा होके भी रात का न हुआ……
हर मर्ज़ का इलाज नहीं दवाखाने में…
कुछ दर्द चले जाते है सिर्फ मुस्कुराने में…!!!
मौत बेवज़ह बदनाम है साहब,
जां तो ज़िंदगी लिया करती है|
दिल को इसी फ़रेब में रखा है उम्रभर
इस इम्तिहां के बाद कोई इम्तिहां नहीं|
गुजर जाऊंगा यूँ ही किसी लम्हे की तरह,
और तुम….. औरो में ही उलझे रहना..!!
उसने भी तो खोया है मुझे . . . .
अपना नुकसान एक जैसा है . . . .
तुम्हारी नाराजगी बहुत वाजिब है…
मै भी खुद से खुश नहीं हूँ !
मुस्कुराकर आदाब करते हो . . . .
आदतेँ क्यूँ खराब करते हो . . .