यूं देखिए तो आंधी में बस इक शजर गया
लेकिन न जाने कितने परिंदों का घर गया.
जैसे ग़लत पते पे चला आए कोई शख़्स
सुख…ऐसे मेरे दर पे रुका…और गुज़र गया….!!!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
यूं देखिए तो आंधी में बस इक शजर गया
लेकिन न जाने कितने परिंदों का घर गया.
जैसे ग़लत पते पे चला आए कोई शख़्स
सुख…ऐसे मेरे दर पे रुका…और गुज़र गया….!!!
यकीं नहीं है मगर आज भी ये लगता है
मेरी तलाश में शायद बहार आज भी है … ??
कुछ नहीं है ख़ास इन दिनों – तुम जो नहीं हो पास इन दिनों..
बेवफाई उसकी दिल से मिटा के आया हूँ,
ख़त भी उसके पानी में बहा के आया हूँ,
कोई पढ़ न ले उस बेवफा की यादों को,
इसलिए पानी में भी आग लगा कर आया हूँ।
टूटने लगे हौसले तो ये याद रखना,
बिना मेहनत के तख्तो-ताज नहीं मिलते,
ढूंढ़ लेते हैं अंधेरों में मंजिल अपनी,
क्योंकि जुगनू कभी रौशनी के मोहताज़ नहीं होते…
जो दूरियों में भी कायम रहा..
….वो इश्क़ ही कुछ और था।
सुनहरे ख्वाबो में जो लिहाफ बार बार पहना
ताबीर में वो मखमल जला जला सा लगता है।
झूम लूं तेरी ही बाँहों में एक खुशी बनकर,
जो….मिल जाए तू मुझे एक जिंदगी बनकर …
तेरी रूह में सन्नाटा है और मेरी आवाज़ में चुप
तू अपने अंदाज़ में चुप है मैं अपने अंदाज़ में चुप !!
रहने दे कुछ बाते यूं ही अनकही सी,
कुछ जवाब तेरी मेरी ख़ामोशी मे अटके ही अच्छे है़।