यूं देखिए तो

यूं देखिए तो आंधी में बस इक शजर गया
लेकिन न जाने कितने परिंदों का घर गया.

जैसे ग़लत पते पे चला आए कोई शख़्स
सुख…ऐसे मेरे दर पे रुका…और गुज़र गया….!!!

बेवफाई उसकी दिल से

बेवफाई उसकी दिल से मिटा के आया हूँ,
ख़त भी उसके पानी में बहा के आया हूँ,
कोई पढ़ न ले उस बेवफा की यादों को,
इसलिए पानी में भी आग लगा कर आया हूँ।

टूटने लगे हौसले तो

टूटने लगे हौसले तो ये याद रखना,
बिना मेहनत के तख्तो-ताज नहीं मिलते,
ढूंढ़ लेते हैं अंधेरों में मंजिल अपनी,
क्योंकि जुगनू कभी रौशनी के मोहताज़ नहीं होते…

तेरी रूह में

तेरी रूह में सन्नाटा है और मेरी आवाज़ में चुप
तू अपने अंदाज़ में चुप है मैं अपने अंदाज़ में चुप !!