तेरी शब मेरे नाम हो जाये
नींद मुझ पर हराम हो जाये
लौट आता है घर परिन्दा भी
इससे पहले कि शाम हो जाये
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
तेरी शब मेरे नाम हो जाये
नींद मुझ पर हराम हो जाये
लौट आता है घर परिन्दा भी
इससे पहले कि शाम हो जाये
मैं बुरा हूँ तो बुरा ही सही….
कम से कम शराफत का दिखावा तो नहीं करता..
जो तुम्हारा था ही नहीं उसे खोना कैसा,,
जब रहना ही है तनहा तो रोना कैसा..
मेरी हर बात का जवाब रखते हो तुम
क्या साथ में कोई किताब रखते हो तुम
मैं बंद आंखों से उसको देखता हूं
हमारे बीच में पर्दा नहीं है|
ये सोच कर की शायद वो खिड़की से झाँक ले..
दीवार क्या गिरी मेरे कच्चे मकान की..
लोगों ने मेरे आँगन से रास्ते बना लिए…
ज़िंदगी के दो पड़ाव
अभी उम्र नहीं है
अब उम्र नहीं है ।
जब हौसला बना लिया ऊँची उड़ान का…
फिर देखना फिज़ूल है कद आसमान का…
तुझे पाना ही मेरी मोहब्बत नहीं है…तेरे अहसास भी मेरे जीने की वजह है ..