मरने का मज़ा तो तब है,
जब कातिल भी जनाजे पे आकर रोये |
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
मरने का मज़ा तो तब है,
जब कातिल भी जनाजे पे आकर रोये |
दिल से ज़्यादा महफूज़ जगह नहीं दुनिया में
पर सबसे ज़्यादा लापता लोग यहीं से होते है|
मेरी शायरियोँ से तंग आ जाओ, तो बता देना मुझे,
वैसे भी मुझे नफरत पसन्द है,
मगर दिखावे का प्यार नही..!!
मैं क्या जानूँ दर्द की कीमत ?
मेरे अपने मुझे मुफ्त में देते हैं !
रफ्तार कुछ जिंदगी की यू बनाये रखी हैहमने..
कि दुश्मन भले आगे निकल जाए पर दोस्त कोई पिछे ना छुटेगा.
लोग कहते हैं कि मेरी पसंद खराब है
लेकिन फिर भी मैं तुम्हें पसंद करता हूं।
अपने कमाए हुए पैसों से खरीदो,
शौक अपने आप कम हो जायेंगे..!!
गरीब बाँट लेते है ईमानदारी से अपना हिस्सा
अमीरी अक्सर इंसान को बेईमान बना देती है
गलियों की उदासी पूछती है, घर का सन्नाटा कहता है…
इस शहर का हर रहने वाला क्यूँ दूसरे शहर में रहता है..!
हम-सफ़र चाहिए हुजूम नहीं..
इक मुसाफ़िर भी क़ाफ़िला है मुझे..