इश्तेहार दे दूँ कि ये दिल खाली है,
वो जो आया था किरायेदार निकला!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
इश्तेहार दे दूँ कि ये दिल खाली है,
वो जो आया था किरायेदार निकला!
डूबकर देख एक पल मुझमें,
ढूँढ ले मुश्क़िलों के हल मुझमें….।।
जागा हुआ ज़मीर वो आईना है
सोने से पहले रोज़ जिसे देखता हूँ मैं |
अपना मुक़द्दर ग़म से बेग़ाना अगर होता
तो फिर अपने-पराए हमसे पहचाने कहाँ जाते |
लम्हों मे खता की है
सदियों की सज़ा पाई |
ये भी तो सज़ा है कि गिरफ़्तार-ए-वफ़ा हूँ
क्यूँ लोग मोहब्बत की सज़ा ढूँढ रहे हैं|
फ़न तलाशे है दहकते हुए जज़्बात का रंग
देख फीका न पड़े आज मुलाक़ात का रंग |
घर से निकले हैं
आँसुओं की तरह |
तजुर्बे उम्र से नहीं…. हालातों से होते हैं
ये दिल आज भी धोखे मे है…
और धोखेबाज दिल में है…॥