पूछने लगे हैं, अब लोग मुझसे, कि ये शायरियां आखिर हैं किसके नाम…
कैसे बता दूँ कि, मेरी हर शायरी के “तुम” सिर्फ “तुम” ही हो !!
Category: हिंदी
खोने की दहशत
खोने की दहशत और पाने की चाहत न होती
तो ना ख़ुदा होता कोई और न इबादत होती ..
मजबूरियां चुपचाप बोली
मजबूरियां चुपचाप बोली कान में,जिंदगी बेचैनियों का नाम है…।।
पुरानी किताब के
हमारा साथ …
पुरानी किताब के पीले पड़
चुके पन्नों से आती
सोंधी सी महक जैसा …
पाकिजगी मुहब्बत की
पाकिजगी मुहब्बत की मयस्सर हैं सबको….
दामन-ऐ-वफा में कोई अश्क तो कोई हंसी लिए बैठे हैं !!
मुस्कुरा देते हो
मुस्कुरा देते हो मेरी हर बात पर….
सुनते भी हो…या इश्क हो गया है….!!
और भी है मसले
और भी है मसले इश्क़-ओ-गम के सिवा,
उदासी की वजह हर बार मोहब्बत ही तो नहीं होती..
तन्हा कट रही थी
आराम से तन्हा कट रही थी तो अच्छी थी
जिंदगी तू कहाँ, दिल की बातों में आ गयी|
तजुर्बा एक ही काफी था
तजुर्बा एक ही काफी था बयान करने के लिए मैने देखा ही नहीं इश्क दोबारा करके !!
सब से ज्यादा
सब से ज्यादा “वजनदार”
“खाली जेब” होती है साहब,
चलना “मुश्किल” हो जाता है…