हर “इसान” अपनी “जुबां” के “पीछे” “छुपा” हुआ है अगर उसे “समझना” है तो उसे “बोलने” दो….!!!”
Category: हिंदी
तेरे क़रीब आकर
तेरे क़रीब आकर उलझनो में हुँ…… पता नही दोस्तो में हुँ या दुशमनो में हुँ…
चल ना सका
पुरक़ैफ बहारें आ ना सकी पुरलुफ़्त नज़ारे हो ना सके दौर ए मय रंगी चल ना सका फ़ितरत के ईशारे हो ना सके आलम भी वही दिल भी वही तक़दीर को लेकिन क्या कहिये हम उनके हैं हम उनके थे पर वो हमारे हो न सके …..
बात वफाओँ की
बात वफाओँ की होती तो कभी ना हारते हम.. खेल नसीबोँ का था भला उसे कैसे हराते.!!
एक तुम हो
एक तुम हो जिस पर दिल आ गया वरना… हम खुद गुलाब हैं किसी और फूल की ख्वाहिश नही करते…
कैसे-कैसे लोग
सर पर चढ़कर बोल रहे हैं, पौधे जैसे लोग, पेड़ बने खामोश खड़े हैं, कैसे-कैसे लोग…..
दुनिया के तार
मैं दुनिया के तार मिलाता रहता हूँ दुनिया मेरे फ्यूज उड़ाती रहती है |
देख कर उसको
देख कर उसको तेरा यूँ पलट जाना,….. नफरत बता रही है तूने मोहब्बत गज़ब की थी|
नाराज़ है वो
कुछ इस तरह से नाराज़ है वो हमसे, जैसे उन्हे किसी और ने मना लिया हो|
मुसाफिर ज़ख़्मी नहीं
कौन कहता है के मुसाफिर ज़ख़्मी नहीं होते, रास्ते गवाह है, बस कमबख्त गवाही नहीं देते ।।