एक जैसी ही दिखती थी.. माचिस की वो तीलियाँ..
कुछ ने दिये जलाये.. और कुछ ने घर..!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
एक जैसी ही दिखती थी.. माचिस की वो तीलियाँ..
कुछ ने दिये जलाये.. और कुछ ने घर..!
रुतबा तो..
ख़ामोशीयों का होता है
अलफ़ाज़ तो
बदल जाते हैं
लोग देखकर…
शाम को तेरा हंस के मिलना ..
दिन भर की मजदूरी है !
मुझसे बातें करके देखो
अक्सर …
मैं बातों में आ जाता हूँ…
अकेले बैठोगे, तो मसले जकड लेंगे.,
ज़रा सा वक़्त सही , दोस्तों के नाम करो
जिस्म का दिल से अगर वास्ता नहीं होता !
क़सम खुदा की कोई हादसा नहीं होता
तेरी गली का सफर आज भी याद है मुझे…!!
मैं कोई वैज्ञानिक नही था, पर मेरी “खोज” लाजवाब थी…!!
कहीं कहीं कोई तारा कहीं कहीं जुगनू
जो मेरी रात थी वो आप का सवेरा है
आसान सा रास्ता है बदनाम होने का यारो ,
ज्यादा कुछ नही फ़कत मोहब्बत कर लो…
मैं तिनके सा बहा जा रहा हूँ ..
जाने मैं कहाँ जा रहा हूँ …