इतना भी क्या?? भीगा लिखते हो…
मालूम है ना…कागज़ निचोड़े नहीं जाते!!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
इतना भी क्या?? भीगा लिखते हो…
मालूम है ना…कागज़ निचोड़े नहीं जाते!!
लफ्ज बड़े बेईमान है यार,
मरहम देने के लिए ख़त लिखा, चोट दे आये….
ख्वाब मत बना मुझे सच नहीं होते..
साया बना लो मुझे साथ नहीं छोडूंगा…!
मेरी रातों की राहत दिन के इत्मिनान ले जाना,
तुम्हारे काम आ जायेगा यह सामान ले जाना |
कुछ फुर्सत के लम्हे चुरा लाया हूँ अपने लिए… !
आओ वार दूँ वक्त को , नजर उतारने के लिए… !!
आये हो आँखों में तो कुछ देर तो ठहर जाओ,
एक उम्र लग जाती है एक ख्वाब सजाने में…
मेरी तो बस एक छोटी सी ख्वाहिश है,
की
तुम्हारी कोई ख्वाहिश अधूरी ना रहे…
बिछड़ के भी वो रोज मिलते है हमसे ख्वाबों में….
ये नींद न होती तो हम कब के मर गये होते….
गरीब़ी देखकर घर की कुछ ख़्वाहिश नहीं करतें…
वरना उम्रें बच्चों की बड़ी शौंकीन होती है।
मैं मान जाऊँगा, तुम तबियत से मनाओ तो सही।
तुम्हे फ़र्क़ पड़ता है, ये बात अपने लहज़े में लाओ तो सही|