बदन के घाव दिखाकर जो अपना पेट भरता है,
सुना है वो भिखारी जख्म भर जाने से डरता है।
Category: हिंदी शायरी
ख़त्म हो भी तो कैसे
ख़त्म हो भी तो कैसे, ये मंजिलो की आरजू,
ये रास्ते है के रुकते नहीं, और इक हम के झुकते नही।
मत पूछो कि
मत पूछो कि मै यह अल्फाज कहाँ से लाता हूँ,
उसकी यादों का खजाना है, लुटाऐ जा रहा हूँ मैं….
फिर इशक का जुनूं
फिर इशक का जुनूं चढ़ रहा है सिर पे,
मयखाने से कह दो दरवाजा खुला रखे…
कहीं किसी रोज
कहीं किसी रोज यूँ भी होता, हमारी हालत तुम्हारी होती
जो रात हम ने गुजारी मर के, वो रात तुम ने गुजारी होती…
शायर तो कह रहा था
शायर तो कह रहा था कि हमने कहा है शेर
और शेर कह रहा था चुराए हुए हैं हम….
कुछ तो सोचा होगा
कुछ तो सोचा होगा कायनात ने
तेरे-मेरे रिश्ते पर…
वरना इतनी बड़ी दुनिया में
तुझसे ही बात क्यों होती….
तेरे गुरूर को देखकर
तेरे गुरूर को देखकर तेरी तमन्ना ही छोड़ दी हमने,
जरा हम भी तो देखे कौन चाहता है तुम्हे हमारी तरह…!!
हम रोने पे आ जाएँ
हम रोने पे आ जाएँ तो दरिया ही बहा दें,
शबनम की तरह से हमें रोना नहीं आता…
मुक्कम्मल ज़िन्दगी तो है
मुक्कम्मल ज़िन्दगी तो है,
मगर पूरी से कुछ कम है।