उम्र जाया कर दी
औरों के वजूद में नुक़्स निकालते निकालते…
इतना खुद को तराशते
तो खुदा हो जाते…
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
उम्र जाया कर दी
औरों के वजूद में नुक़्स निकालते निकालते…
इतना खुद को तराशते
तो खुदा हो जाते…
क्या लूटेगा जमाना खुशियों को
मेरी..
मैं तो खुद अपनी खुशियाँ दूसरों पर लुटा कर जीता हूँ….
बच्चे मेरे गली के बहुत ही शरारती हैं,
आज फिर तुम्हारा नाम मेरी दीवार पर लिख गये..
जब से वो मशहूर हो गये हैं, हमसे कुछ दूर हो गये हैं…
क्या ऐसा नही हो सकता …..
हम प्यार मांगे, और तुम गले लगा कर कहो….
“और कुछ”
कौन कहता है तस्वीरें जुआ नहीं खेलती…
हर दिल हारा है… तेरी सूरत देखकर…!!!
थोड़ी सी तकलीफ थोड़ी सी तन्हाई रहती है हरदम..
हां…मैं उसकी यादों के बाजार में टहलता हूँ।
बात मोहब्बत की थी, तभी तो लूटा दी जिंदगी तुझ पे……!जिस्म से प्यार होता तो….तुझ से भी हसीन चेहरे बिकते है,बाजार में….!!
हो सके तो, अब के कोई सौदा न करना मैं पिछली मोहब्बत में, सब हार आया हूँ…………
धड़कनें गूंजती हैं सीने में
इतने सुनसान हो गए हैं हम…