मिट्टी का बना हूँ महक उठूंगा…
बस तू एक बार बेइँतहा ‘बरस’ के तो देख……
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
मिट्टी का बना हूँ महक उठूंगा…
बस तू एक बार बेइँतहा ‘बरस’ के तो देख……
कसक पुराने ज़माने की साथ लाया है,
तिरा ख़याल कि बरसों के बाद आया है !!
मैं अपने शहर के लोगों से ख़ूब वाकिफ़ हूँ
हरेक हाथ का पत्थर मेरी निगाह में है|
जीत कर मुस्कुराए तो क्या मुस्कुराए
हारकर मुस्कुराए तो जिंदगी है….
सौदेबाजी का हुनर कोई उनसे सीखे,
गालों का तिल दिखाकर सीने का दिल ले गये !
गिरा दे जितना पानी तेरे पास है बादल..
कयामत तक ये प्यास नही बुझने वाली ..
ग़ज़ल भी मेरी है पेशकश भी मेरी है
मगर लफ्ज़ो में छुप के जो बैठी है वो बात तेरी है…
मुस्कुरा जाता हूँ अक्सर गुस्से में भी तेरा नाम सुनकर,
तेरे नाम से इतनी मोहब्बत है.तो सोच तुझसे कितनी होगी….
बच्चे ने तितली पकड़ कर छोड़ दी।
आज मुझ को भी ख़ुदा अच्छा लगा।
बस आखरी बार इस तरह मिल जाना,
मुझ को रख लेना या मुझ में रह जाना !!