शख्सियत अच्छी होगी तभी दुश्मन बनेंगे,
वरना बुरे की तरफ देखता कौन है..
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
शख्सियत अच्छी होगी तभी दुश्मन बनेंगे,
वरना बुरे की तरफ देखता कौन है..
कितनी मासूम होती है ये दिल की धड़कनें,
कोई सुने ना सुने ये खामोश नही रहती..
नसीहतें अच्छी देती है दुनिया,
अगर दर्द किसी और का हो..
बारिश के बाद रात आईना सी थी,
एक पैर पानी मे रखा तो चाँद हिल गया.
काश पलट के पहुंच जाऊ फिर से वो बचपन की वादियों में,
ना कोई जरुरत थी ना कोई जरुरी था….
आया कुछ इस अदा से के पलकों को भिगो गया,
झोंका तेरे ख्याल का कितना अजीज था.
अब कौन से मौसम से कोई आस लगाए,
बरसात में भी याद जब न उनको हम आए।
अपनो की चाहतो ने दिए ऐसे फरेब..
रोते रहे लिपट कर, हर अजनबी से हम..!
दर्द हल्का है, सांसे भारी है …
जिए जाने की ” रस्म ” जारी है |
क्यूँ शर्मिंदा करते हो रोज, हाल हमारा पूँछ कर ,
हाल हमारा वही है जो तुमने बना रखा हैं…