किसके लिए

“जीत” किसके लिए,
‘हार’ किसके लिए,
‘ज़िंदगी भर’ ये ‘तकरार’ किसके लिए..
जो भी ‘आया’ है वो ‘जायेगा’ एक दिन यहाँ से ,

फिर ये इंसान को इतना “अहंकार” किसके लिए..

दर्द की कीमत क्या है

किसी ने यूँ ही पूछ लिया हमसे कि दर्द की कीमत क्या है;

हमने हँसते हुए कहा,

“पता नहीं… कुछ अपने मुफ्त में दे जाते हैं।”