हम इश्क के मारो का इतना सा फसाना है
संग रोने को कोई नही हमपे हसने को जमाना है
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
हम इश्क के मारो का इतना सा फसाना है
संग रोने को कोई नही हमपे हसने को जमाना है
अमीरी भी
क्या चीज़ है
कुत्ते, बिल्ली, तोता खुद पालते है
और खुद के बच्चे आया पालती है
कितने कमज़ोर है यह गुब्बारे, चंद सासों में फूल जाते है,
बस ज़रा सी बुलंदिया पाकर, अपनी औकात भूल जाते है…
सुनो, ठिकाने लगा दो मुझे,
अब कोई ठिकाना नही मेरा।
तुम्हारे लिए बस दुआ ही निकली थी इन लबों से,
सोचो जो बदुआ आई, कुछ तो बात रही होगी।
सबसे मुश्किल होता हैं उन जाने लोगो से बात करना, अंजानो की
तरह।
वो अनजाने लोग जिनपर कभी जान लुटाया करते थे।
हर बात में हारता था मैं उस से,
उसे भी हार गया मैं उसी से।
उसको मिलने से पहले
कहीं बार सोचा था,
उस से मिलने के बाद कहीं बार सोचा हैं।
वो जो मिलती हैं मुझे, मुझे मिल
क्यूँ नही जाती..??
मेरे पास आते आते,
दूर
मुझसे हो रही हैं।
एक अजनबी मिलके रोज,
कुछ और अजनबी हो रही हैं।
मैं मर जाँऊ तो उसको खबर मत करना…
अगर वो रो पड़ी तो ये दिल फिर धड़क जायेगा…