जो बनाई है तिरे काजल से
तस्वीरे-मुहब्बत,
अभी तो प्यार के रंग से सजाया ही कहाँ है..!
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
जो बनाई है तिरे काजल से
तस्वीरे-मुहब्बत,
अभी तो प्यार के रंग से सजाया ही कहाँ है..!
वो लोग भी चलते है आजकल तेवर बदलकर …
जिन्हे हमने ही सिखाया था चलना संभल कर…!
मुहब्बत कितनी सच्ची क्यों न हो
एक दिन दर्द ओर आसूं जरुर देती है।
अब सहारों की बात मत करना….…
अब दिलासों से भर गया है दिल….!!
मेरा खुदा एक ही है….
जिसकी बंदगी से मुझे सकून मिला
भटक गया था मै….
जो हर चौखट पर सर झुकाने लगा..
तेरी आवाज़ आज भी मेरे कानों में गूंजा करती है,
वो तेरा एक बार का कहना “तुम सिर्फ मेरे हो ..!
बारिश में रख दो इस जिंदगी के पन्नों को,
कि धुल जाए स्याही,
ज़िन्दगी तुझे फिर से लिखने का
मन करता है कभी- कभी।।
मोहब्बत ख़ूबसूरत होगी किसी और दुनियाँ में,
. . .
इधर तो हम पर जो गुज़री है हम ही जानते हैं…
जिंदगी जख्मो से भरी हैं वक़्त को मरहम बनाना सीख लो , हारना तो मौत के सामने फिलहाल जिंदगी से जीतना सीख लो…
धुप से जल कर मरा है वो,
कमबख्त चाँद पर कविताएँ लिखता था..!!