मुनासिब समझो तो सिर्फ इतना ही बता दो……..
दिल बैचैन हैं बहुत, कहीं तुम उदास तो नहीं
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
मुनासिब समझो तो सिर्फ इतना ही बता दो……..
दिल बैचैन हैं बहुत, कहीं तुम उदास तो नहीं
सजा यह मिली की आँखों से नींद
छीन ली उसने,
जुर्म ये था की उसके साथ रहने का ख्वाब देखा था |
कल शाम दिल के साथ बुझ इस तरह चराग़
यादों के सिलसिले भी उजाला न कर सके
जो छत हमारे लिए भी यहाँ दिला पाए
हमें भी ऐसा कोई संविधान दीजिएगा
काश तुम मेरे होते
सांस ही थम जाती अगर ये अल्फाज तेरे होते
वो कितना
मेहरबान था,कि हजारों गम दे गया यारों,
हम कितने खुदगर्ज
निकले,कि कुछ ना दे सके,
मोहब्बत के सिवा….
इज़ाज़त हो तो मांग लूँ तुम्हें,
सुना है तक़दीर लिखी जा रही है….
हर पतंग जानती हे,अंत में
कचरे मे जाना हे ।
लेकिन उसके पहले हमे,
आसमान छूकर दिखाना
हे ।
ज़रूरी नहीं कि काम से ही इंसान थक जाए,फ़िक्र,धोखे,
फरेबभी थका देते है।
आईना ख़ुद को समझते है बहुत लोग यहाँ …..
आईना कौन है उनको दिखाने वाला..