इक़रार कर गया कभी इंकार कर गया;
हर बात एक अज़ाब से दो-चार कर गया;
रास्ता बदल के भी देखा मगर वो शख्स;
दिल में उतर कर सारी हदें पार कर गया………
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
इक़रार कर गया कभी इंकार कर गया;
हर बात एक अज़ाब से दो-चार कर गया;
रास्ता बदल के भी देखा मगर वो शख्स;
दिल में उतर कर सारी हदें पार कर गया………
जिसने हिजरत की है, नफ़रत की नगरी से…
मेरे दिल को, उसके लिए मदीना कर दो…
कुछ तो वजह होगी जो दिल प्यासा हीं रह गया…
यूं तो अश्क बहते रहें लबों को छु छु कर..
नीँद को इंतजार की आदत न डालो….
जो रूठ गई तो मुश्किल होगी.!!!!!!!
फ़ ये गजब की रात और ये ठंडी हवा का आलम,
हम भी खूब सोते अगर उनकी बांहो में होते..
इतना भी क्या?? भीगा लिखते हो…
मालूम है ना…कागज़ निचोड़े नहीं जाते!!
लफ्ज बड़े बेईमान है यार,
मरहम देने के लिए ख़त लिखा, चोट दे आये….
ख्वाब मत बना मुझे सच नहीं होते..
साया बना लो मुझे साथ नहीं छोडूंगा…!
मेरी रातों की राहत दिन के इत्मिनान ले जाना,
तुम्हारे काम आ जायेगा यह सामान ले जाना |
कुछ फुर्सत के लम्हे चुरा लाया हूँ अपने लिए… !
आओ वार दूँ वक्त को , नजर उतारने के लिए… !!