तन्हाई लिखते समय
तुम मेरे सबसे पास थी|
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
तन्हाई लिखते समय
तुम मेरे सबसे पास थी|
कच्ची नसों में रंज जब चुप उतरता है
काफिये साँसों के रूह-ए -शायर से मिल पाते नहीं|
कोई नजर भी उठाएं उस पे तो दिल धड़क जाता है..
मै उस शख्स को चाहता हूँ अपनी आबरू की तरह..
न लफ़्ज़ों से और न एहसानो से साबित होती है,
ये मोहब्बत है! इसमें सबसे ऊपर नीयत होती है।
वो धोखा दे तो उसकी क्या ख़ता है
ख़ता मेरी है धोखा खा रहा हूँ|
मेरे अज़ीज़ ही मुझ को ना समझ पाये कभी..
मैंअपना हाल किसी अजनबी से क्या कहता |
पहले से कुछ साफ़ नज़र आई दुनिया
जब से हमने आँखों पर पट्टी बांधी|
यकीन कि कशतीयां यु ही नही डुबी मेरी ..
मेने देखा है तुम्हे गैरो का होते हुएँ|
चलो एक काम करते हैं
नफ़रत को बदनाम करते हैं|
जरुरत नहीं थी असलियत में शायद..
कर्ज़दार हुए हम शौक ही शौक में..!!