पता नहीं इश्क है या नहीं फिर भी
तेरी परवाह करना अच्छा लगता है|
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
पता नहीं इश्क है या नहीं फिर भी
तेरी परवाह करना अच्छा लगता है|
अपनी हर बात रो रो के मनवाना
ये आँसुओ का गलत इस्तेमाल है साहिब|
मैं एक हाथ से पूरी दुनिया से लड़ सकता हूँ..
अगर तेरा हाथ मेरे दूसरे हाथ में हो…
दर्जनों किस्से-कहानी ख़ुद ही चल कर आ गए…
उस से जब भी मैं मिला इतवार छोटा पड़ गया…
लाख हम शेर कहें लाख इबारत लिक्खें
बात वो है जो तिरे दिल में जगह पाती है !!
मोहब्बत करने वालों को वक़्त कहाँ
जो गम लिखेंगें
कलम इधर लाओ,
इन बेवफ़ाओं के बारे में हम लिखेंगें|
एक दिल था जो तुझे दे दिया..
हज़ार होते.. तो भी तेरे होते|
हँसते हँसते अक्सर रो पड़ती है ये निगाहें
जहन में जब जब आता है खोया हुआ चेहरा तेरा..
मोहब्बत मे लेन देन ही नही होती!
तो कैसे करे कोइ हिसाब और कैसे चुकाये ये उधारी……
हम तो शापित प्रेमी, हमको कुछ भी न अधिकार मगर,
जादूगर भी इस दुनिया को तुम जैसी न कर पाते।