बड़ी मुश्किलों के बाद पत्थर बना हूँ,
मैं जीना चाहता हूँ यारो मुझे मोम न करो…
Dil ke jazbaati lafzon ki ek mehfil ! | दिल के जज्बाती लफ्जो की एक महफ़िल !
बड़ी मुश्किलों के बाद पत्थर बना हूँ,
मैं जीना चाहता हूँ यारो मुझे मोम न करो…
किसको, पाने की तलब है यहां;
हम तो बस, तुझे खो देने से डरते है!
तुम करो कोशिशें मुझसे नफरत करने की
मेरी तो हर एक सांस से तेरे लिए दुआ ही निकलेगी…!!
प्यार का रिश्ता भी कितना अजीब होता है।
मिल जाये तो बातें लंबी और बिछड़ जायें तो यादें लंबी।
हमारी नियत का पता तुम क्या लगाओगे गालिब….
हम तो नर्सरी में थे तब भी मैडम अपना पल्लू सही रखती थी….
तेरा ज़िक्र..तेरी फिक्र ..तेरा एहसास…तेरा ख्याल..!!!
तू खुदा नहीं ….फिर हर जगह मौज़ूद क्यूँ है…!!
वो शहंशाह है, मगर फकीरी मिजाज़ रखता है!
काशा हाथ में लेकर, ठोकर पे ताज रखता है!
उर्स-ए-गरीब नवाज़ मुबारक हो!
अगर शक है मेरी मोहब्बत पे तो दो चार गवाह बुला
लो, हम आज, अभी, सबके सामने, ये जिन्दगी तेरे
नाम करते है !!
कल किसी और ने खरीद लिया
तो शिकायत न करना,
इसलिए आज हम सबसे पहले
तेरे शहर मे बिकने आये है|
तफसीले छोड़ो…बस इतना सुनो…….
तुम बिछड़ गए…हम बिखर गए..!!