ले चल कही दूर मुझे तेरे सिवा जहां कोई ना हो,
बाँहों में सुला लेना मुझको फिर कोई सवेरा ना हो…!!!
Category: शायरी
आ भी जाओ मेरी
आ भी जाओ मेरी आँखों के रूबरू अब तुम,
कितना ख्वावों में तुझे और तलाशा जाए …..!!
मयख़ाने से बढ़कर
मयख़ाने से बढ़कर कोई ज़मीन नहीं।
यहाँ सिर्फ़ क़दम लड़खड़ाते हैं, ज़मीर नही।
दिल से ज्यादा
दिल से ज्यादा महफूज़ जगह कोई नही मगर,
सबसे ज्यादा लोग यहीं से ही लापता होते हैं।
बदलेंगे नहीं ज़ज्बात
बदलेंगे नहीं ज़ज्बात मेरे तारीखों की तरह,
बेपनाह इश्क करने की ख्वाहिश उम्र भर रहेगी
घर की इस बार
घर की इस बार मुकम्मल मै तलाशी लूँगा
ग़म छुपा कर मेरे माँ बाप कहाँ रखते है..
उम्मीदों की तरह
मिट चले मेरी उम्मीदों की तरह हर्फ़ मगर,
आज तक तेरे खतों से तेरी खुश्बु ना गई।
मुहब्बत अगर चेहरा
मुहब्बत अगर चेहरा देख कर होती
तो यकीन मानो तुम से कभी नही होती
दाग़ दुनिया ने
दाग़ दुनिया ने दिए, ज़ख़्म ज़माने से मिले
हमको तोहफ़े ये तुम्हें दोस्त बनाने से मिले|
अँधेरे चारों तरफ़
अँधेरे चारों तरफ़ सायं-सायं करने लगे
चिराग़ हाथ उठाकर दुआएँ करने लगे
तरक़्क़ी कर गए बीमारियों के सौदागर
ये सब मरीज़ हैं जो अब दवाएँ करने लगे
लहूलोहान पड़ा था ज़मीं पे इक सूरज
परिन्दे अपने परों से हवाएँ करने लगे
ज़मीं पे आ गए आँखों से टूट कर आँसू
बुरी ख़बर है फ़रिश्ते ख़ताएँ करने लगे
झुलस रहे हैं यहाँ छाँव बाँटने वाले
वो धूप है कि शजर इलतिजाएँ करने लगे
अजीब रंग था मजलिस का, ख़ूब महफ़िल थी
सफ़ेद पोश उठे काएँ-काएँ करने लगे….!