अगर पाना है मंझिल तो अपना रहनुमा खुद बनो,
वो अक्सर भटक जाते है जिन्हें सहारा मिल जाता|
Category: शायरी
पेड़ काटने आये हैं
पेड़ काटने आये हैं कुछ लोग,मेरे गाँव में …
अभी धूप बहुत तेज है कहकर
बैठे हैं उसी की छाँव में…..!!
अजीब रंगों में गुज़री है
अजीब रंगों में गुज़री है मेरी ज़िन्दगी…
दिलो पे राज किया पर मुहब्बत को तरस गए…!!!
बड़े बदनसीब ठहरे
बड़े बदनसीब ठहरे हम, जो क़रार तक ना पहुँचे,
दर-ए-यार तक तो पहुँचे,
दिल-ए-यार तक ना पहुँचे
तुम कभी मेरे साथ
तुम कभी मेरे साथ…आसमां तक चलो
मुझे इस चाँद का…
गुरूर तोड़ना है….
आँखे भिगोने लगी है
आँखे भिगोने लगी है अब यादे भी तेरी ,
काश तुम अजनबी ही होते तो अच्छा होता|
मेरे शहर की गलियां
मेरे शहर की गलियां अब मुझसे पता मेरा पूछ्ती हैं
दरअसल तेरे बगैर मुझे देखने की आदत नहीं रही इनको|
वो शाम-ऐ-इश्क़
वो शाम-ऐ-इश्क़ फिर दोबारा नहीं आई.,
जब थे उस दिन रूठे तब तुम हमे मानाने नहीं आई|
मिल ही जाएगा
मिल ही जाएगा हमें भी टूट कर चाहने वाला…!!
अब शहर का शहर तो बेवफ़ा हो नहीं सकता…!!
एक राज़ की बात
एक राज़ की बात बताऊँ किसी से बताना नहीं…!!
इस दुनिया में अपने सिवा कुछ भी अपना नहीं…!!